आमतौर पर पढ़ने में तेज और बेहतरीन प्रदर्शन के बल पर छात्र-छात्राएं गोल्ड मेडल हासिल करते हैं, लेकिन एक ऐसा विश्वविद्यालय है. जहां के नियम कुछ हटकर हैं. जहां मांस खाने वाले छात्रों को विश्वविद्यालय में अच्छे प्रदर्शन के बावजूद गोल्ड मेडल नहीं दिया जाएगा. यह विश्वविद्यालय है पुणे के सावित्री बाई फुले विश्वविद्यालय, जहां एक अजीबोगरीब आदेश जारी किया गया है.
क्या है पूरा मामला
दरअसल सावित्री बाई फुले यूनिवर्सिटी ने एक सर्कुलर जारी किया है, जिसमें कहा गया है कि यूनिवर्सिटी से गोल्ड मेडल उन्हीं लोगों को मिलेगा जो शाकाहारी हैं.
खबरों के अनुसार यूनिवर्सिटी द्वारा जारी सर्कुलर में 10 शर्तें रखी गईं हैं. यह शर्तें महर्षि कीर्तंकर शेलार मामा गोल्ड मेडल के लिए पात्र हैं. शर्तों के अनुसार स्टूडेंट का इसके लिए शाकाहारी होना अनिवार्य है साथ ही वह योग, प्राणायाम करता हो इसके अलावा नशे से दूर रहता हो.
छात्रों ने किया विरोध
सर्कुलर जारी होने के बाद छात्रों ने इसका विरोध किया है. बता दें कि 2014 में पुणे विश्वविद्यालय का नाम बदलकर सावित्री बाई फुले विश्वविद्यालय रख दिया गया था जिसके बाद यहां पर श्रीमती सरस्वती रामचंद्र शेलार स्वर्ण पदक देने की घोषणा की गई थी.
राजनीतिक पार्टियों ने भी किया विरोध
इस सर्कुलर को लेकर कई राजनीतिक पार्टियों और छात्र संगठनों ने विरोध भी किया है. एनसीपी की नेता और सांसद सुप्रिया सुले ने ट्वीट किया, 'पुणे यूनिवर्सिटी का फैसला निराशाजनक और चौंकाने वाला है. अपने राज्य की शिक्षा पर गर्व है, हमारी यूनिवर्सिटीज को क्या हो गया है, कृपया खाने की जगह शिक्षा पर ध्यान दें.'
No comments:
Post a Comment