सेकुलरिज्म एक भ्रामक और कुपरिभाषित शब्द है.अधिकाँश लोग इस शब्द का सही अर्थ भी नहीं जानते .इस शब्द की न तो कोई सटीक परिभाषा है,और न ही कोई व्याख्या है। लेकिन कुछ धूर्तों और सत्ता लोलुप लोगों ने सेकुलर शब्द का अर्थ "धर्मनिरपेक्ष "कर दिया,जिसका मूल अंग्रेजी शब्द से दूर का भी सम्बन्ध नहीं है.यही नहीं इन मक्कार लोगों ने सेकुलर शब्द का एक विलोम शब्द भी गढ़ लिया "साम्प्रदायवाद "।
आज यह सत्तालोभी ,हिंदुद्रोही नेता अपने सभी अपराधों पर परदा डालने और हिन्दुओं को कुचलने व् उन्हें फ़साने के लिए इन शब्दों का ही उपयोग करते हैं। इन कपटी लोगों की मान्यता है की कोई व्यक्ति चाहे वह कितना ही बड़ा अपराधी हो, भ्रष्टाचारी हो ,या देशद्रोही ही क्यों न हो,यदि वह ख़ुद को सेकुलर बताता है ,तो उसे दूध का धुला ,चरित्रवान ,देशभक्त,और निर्दोष मानना चाहए.इस तरह से यह लोग अपने सारे अपराधों को सेकुलरिज्म की चादर में छुपा लेते हैं ।लेकिन यही सेकुलर लोग जब किसी हिन्दू संत,महात्मा ,या संगठन को कानूनी शिकंजे में फ़साना चाहते हैं ,तो उन पर सम्प्रदायवादी होने का आरोप लगा कर उन्हें प्रताडित करते हैं।सेकुलर का वास्तविक अर्थ और इतिहास बहुत कम लोगों को पता है.यह एक बनावटी शब्द है.
वास्तव में इस शब्द का सीधा सम्बन्ध ईसाई धर्म और उनके पंथों के आपसी विवाद से है।
सेकुलर शब्द लैटिन भाषा के सेकुलो (Seculo)शब्द से निकला है। जिसका अंग्रेजी में अर्थ है 'इन दी वर्ल्ड (in the world) 'कैथोलिक ईसाइयों में संन्यास लेने की परम्परा प्रचलित है। इसके अनुसार संन्यासी पुरुषों को मौंक(Monk) और महिलाओं को नान(Nun) कहा जाता है। लेकिन जो व्यक्ति संन्यास लिए बिना ,समाज में रहते हुए संयासिओं के धार्मिक कामों में मदद करते थे उन्हें ही सेकुलर(Secular) कहा जाता था। साधारण भाषा में हम ऐसे लोगों को दुनियादार कह सकते हैं।
सेकुलरिज्म की उत्पत्ति
सभी कैथोलिक ईसाई पॉप को अपना सर्वोच्च धार्मिक और राजनीतिक गुरु मानते हैं। 15 वीं सदी में असीमित अधिकार थे। उसे यूरोप के किसी भी राजा को हटाने ,नए राजा को नियुक्त करने,और किसी को भी धर्म से बहिष्कृत करने के अधिकार थे। यहाँ तक की पॉप की अनुमति के बिना कोई राजा शादी भी नहीं कर सकता था।
जब इंग्लैंड के राजा हेनरी 8 वें (1491-1547(ने 1533में अपनी रानी कैथरीन(Catherine) को तलाक देने,और एन्ने बोलेन्न (Anne Bollen)नामकी विधवा से शादी करने के लिए पॉप क्लीमेंट 7th से अनुमति मांगी तो पॉप ने साफ़ मना कर दिया। और हेनरी को धर्म से बहिष्कृत कर दिया। इस पर नाराज़ होकर हेनरी ने पॉप से विद्रोह कर दिया,और अपने राज्य इंग्लैंड को पॉप की सता से अलग करके ,'चर्च ऑफ़ इंग्लैंड "की स्थापना कर दी.इसके लिए उसने 1534 में इंग्लैंड की संसद में 'एक्ट ऑफ़ सुप्रीमैसी Act of suprimacy "नामका कानून पारित किया .जिसका शीर्षक था "सेपरेशन ऑफ़ चर्च एंड स्टेट ( separation of church and state) "इसके मुताबिक चर्च न तो राज्य के कामों में हस्तक्षेप कर सकता था ,और न ही राज्य चर्च के कामों में दखल दे सकता था। इस चर्च और राज्य के विलगाव के सिध्धांत का नाम उसने सेकुलरिज्म(Secularism) रखा।
आज अमेरिका में सेकुलरिज्म का यही अर्थ माना जाता है.परन्तु यूरोप के कैथोलिक देशों में सेकुलर शब्द का अर्थ "स्टेट अगेंस्ट चर्च - state against church"किया जाता है। हेनरी और इंदिरा के उदाहरणों से यह स्पष्ट है की इन लोगों ने सेकुलर शब्द का उपयोग अपने निजी स्वार्थों के लिए ही किया था।
आज सेकुलरिज्म के नाम पर स्वार्थी लोगों ने कई शब्द बना रखे हैं जो भ्रामक और परस्पर विरोधी हैं। कुछ प्रचलित शब्द इस प्रकार हैं -
शब्दकोश में इसके अर्थ धर्म से संबंध न रखनेवाला,संसारी हैं
1-धर्म निरपेक्षता
अर्थात धर्म की अपेक्षा न रखना ,धर्म हीनता,या नास्तिकता.इस परिभाषा के अनुसार धर्म निरपेक्ष व्यक्ती उसको कहा जा सकता है ,जिसको अपने बाप(धर्म) का पता न हो ,और जो हर आदमी(धर्म) को अपना बाप(धर्म) मानता हो.आजकल के अधिकाँश वर्ण संकर नेता इसी श्रेणी में आते हैं।ऐसे लोगों को हम ,निधर्मी ,धर्मभ्रष्ट ,धर्महीन ,धर्मपतित या धर्मविमुख कह सकते हैं .
2-सर्व धर्म समभाव
अर्थात सभी धर्मों को एक समान मानना। अक्सर ईसाई और मुसलमान सेकुलर का यही मतलब बताते हैं। यदि ऐसा ही है तो यह लोग धर्म परिवर्तन क्यों कराते हैं? धर्म परिवर्तन को अपराध घोषित क्यों नहीं कराते,और धर्म परिवर्तन कराने वालों को सज़ा देने की मांग क्यों नहीं करते?ईसाई मिशनरियां हिन्दुओं के धर्म परिवर्तन के लिए क्यों लगी रहती हैं ?या तो यह लोग स्वीकार करें की सभी धर्म समान नहीं है।
मुसलमान तो साफ़ कहते हैं की अल्लाह के नजदीक सिर्फ़ इस्लाम धर्म ही है "इन्नाद्दीन इन्दाल्लाहे इस्लाम "(Sura3:19)
सभी धर्मों के समान होने की बात मात्र छलावा है और कुछ नहीं।
3-पंथ निरपेक्षता
अर्थात सभी पंथों,सप्रदायों,और मतों को एक समान मानना-वास्तव में यह परिभाषा केवल भारतीय पंथों ,जैसे बौध्ध ,जैन,और सिख,जैसे अन्य पंथों पर लागू होती है। क्योंकि यह सभी पंथ एक दूसरे को समान रूप से आदर देते हैं .लेकिन इस परिभाषा में इस्लामी फिरके नहीं आते.शिया और सुन्निओं की अलग अलग शरियतें हैं वे एक दूसरे को कभी बराबर नहीं मानते ,यही कारण है की यह लोग हमेशा आपस में लड़ते रहते हैं.उक्त परिभाषा के अनुसार केवल हिन्दू ही स्वाभाविक रूप से सेकुलर हैं.उन्हें सेकुलरिज्म का पाठ पढाने की कोई जरूरत नहीं है।
4-ला मज़हबियत
मुसलमान सेकुलरिज्म का अर्थ यही करते है। इसका मतलब है कोई धर्म नहीं होना,निधर्मी पना .मुसलमान सिर्फ़ दिखावे के लिए ही सेकुलरिज्म की वकालत करते हैं.और इसकी आड़ में अपनी कट्टरता ,देश द्रोह, अपना आतंकी चेहरा छुपा लेते हैं.इस्लाम में सभी धर्मो को समान मानना -शिर्क- यानी महा पाप है.ऐसे लोगों को मुशरिक कहा जाता है,और शरियत में मुशरिकों के लिए मौत की सज़ा का विधान है। इसीलिए मुसलमान भारत को दारुल हरब यानी धर्म विहीन देश कहते हैं। और सभी मुस्लिम देशों में सेकुलर का यही मतलब है।इस्लाम धार्मिक शासन का पक्षधर है ,और सेकुलर हुकूमत की तुलना चंगेजखान की निरंकुश हुकूमत से करता है .इकबाल ने कहा है ,
"जलाले बादशाही हो ,या जम्हूरी तमाशा हो .अगर मज़हब से खाली हो ,तो रह जाती है खाकानी ."
5-सूडो सेकुलर(Psuedo secular)
अर्थात छद्म धर्म निरपेक्ष.या कपताचारी .यह ऐसे लोग हैं जो धर्म का ढोंग करते हैं.हालांकि इन लोगों को धर्म से कोई लेना देना नही होता .इनका ख़ुद का कोई धर्म नहीं होता,लेकिन यह लोग सभी धर्म स्थानों पर जाकर लोगों को मूर्ख बनाते हैं। यह सभी लोग वर्ण संकर ,अर्थात हिन्दू,मुसलमान,ईसाई,और देशी विदेशी नस्लों की मिश्रित संतान हैं। देश में ऐसे लोगों की एक बड़ी संख्या मौजूद है।यही लोग अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए सेकुलरिज्म की आड़ में लोगों को जातियों और धर्मों के आधार बाँट कर आपस में पर फूट डालते रहते हैं .ऐसे लोगों को निधर्मी कहना अनुचित नहीं होगा .
6-सम्प्रदायवाद
यह एक कृत्रिम शब्द है जो सेकुलरिज्म के विपरीतार्थ में प्रयुक्त किया जाता है.इसका शाब्दिक अर्थ है की अपने सम्प्रदाय को मानना .इस शब्द का प्रयोग सेकुलर लोग हिदुओं को गाली देने,और अपराधी बताने में करते हैं। इन सेकुलरों की दृष्टी में सभी हिन्दू सम्प्रदायवादी अर्थात अपराधी होते हैं .मुसलमान और ईसाई कभी सम्प्रदायवादी नहीं हो सकते.नीचे दी गयी सूची से यह स्पष्ट हो जायेगा।
सेकुलर सम्प्रदायवादी
मदरसा सरस्वती मन्दिर
अलाहो अकबर जय श्रीराम
मुल्ले मौलवी साधू संत
मस्जिद दरगाह मन्दिर मठ
उर्दू संस्कृत
इन सभी विवरणों से स्पष्ट हो जाता है की सेकुलरिज्म एक ऐसा हथियार है जिसका प्रयोग हिन्दुओं को कुचलने के लिए किया जाता है.ताकि इस देश से हिंदू धर्म और संस्कृती को मिटा कर यहाँ विदेशी वर्ण संकर राज कर सकें।
हिंदू सदा से सेकुलर रहे हैं.इतिहास गवाह है हिन्दुओं ने न तो कभी दूसरे धर्मों के लोगो पर आक्रमण किया न उन का धर्म परिवर्तन किया। न हिन्दुओं ने किसी के धर्म स्थल ही तोडे। फ़िर हिदुओं को यह कांग्रेसी सेकुलरिज्म पढाने की क्या जरूरत पड़ गयी थी। मतलब साफ़ है की यह हिन्दुओं के विरूद्ध एक साजिश है।
अगर सेकुलरिज्म का पाठ पढाना है तो,उन लोगों को पढ़ाया जाना जो अपने धर्म को सर्वश्रेष्ठ बता कर दूसरों के धर्म को हीन बताते हैं . और लोगों का धर्म परिवर्तन कराते रहते है .ताकि इस देश पर राज कर सकें !