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Wednesday, 4 October 2017

नेपाल में वाम एकता ड्रैगन की चाल

राजाराम दास 
काठमाण्डू, ४ अक्टोबर । नेपाली राजनीति में अपना प्रभाव जमाने के लिए चीन ने कुछ दिनों से इस कदर सक्रिय है कि नेपाली सत्ता समीकरण तकको बदलना चाहता है । नेपाल में ‘कम्युनिस्ट’ है ही नही कहनेबाले नेपाल के पूर्वप्रधानमन्त्री बाबुराम भट्टराईसमेत एमाले–माओवादी समीकरण में जुड गये  हैं ।


‘स्लो पोइजन’ कहे जानेबाला चीन इसबार इतना ज्यादा आक्रामक रुप में सामने आया है कि चीन ने सत्ताधारी दल और मुख्य प्रतिपक्षी एमालेको एक साथ जोड दिया है । कुछ दिन पहले ही एमाले अध्यक्ष केपी शर्मा ओली के चीन दौरे के दौरान ही यह सब घटनाक्रमका डिजाइन तैयार  हो गया था। उस से भी पहले परराष्ट्रमन्त्री कृष्णबहादुर महरा, जो एक ‘प्रो–चाइनिज’ माना जाता है, उन के चीन दौरे के समय भी बाम–एकता के पक्ष में ने जोर  दिया गया था और अभी के ही ग्राण्ड डिजाइन के मुताबिक घटनाक्रम घटित हुआ  है ।

हरेक हप्ते एक उच्च पदस्थ चीनी अधिकारी नेपाल आते रहें हैं परन्तु, पिछले १० दिनों में एक भी ‘हाइप्रोफाइल’ नेपाल दौरा नही हुआ है चीनी अधिकारियोंका । एमाले, माओवादी और नयाँ शक्ति के एकता मामले में अपना भूमिकाको छुपाने के लिए चीन ने   पहले से ही तैयारी कर रखी थी ।

भारत के नजदिकी कहेजानेबाले नयाँ शक्ति पार्टी संयोजक भट्टराई भी एमाले गठबन्धन में समाहित होने जा पहुँचे  । और अब चीन ने  अपना अगला  निशाना मधेश केन्द्रीत दलों पर लगा रखा है । इनका पहला लक्ष्य राष्ट्रिय जनता पार्टी (राजपा) को तोडना है । ६ मधेशवादी दल मिलकर बनी  राजपाको फोडने में चीन अपना पूरी ताकत आजमा रहा है । 

किसी का नाम बताए बगैर राजपा अध्यक्ष मण्डल के एक नेता महेन्द्र राय यादव ने कहा ‘हमारे  संगठनको तोडने में अनेको शक्तियाँ  सक्रिय है,’ साथ ही साथ उन्होने कहा ‘हम पर संगठन बचानेकी  चुनौती बढी  है’ 

खासकर नेपाल में  कम्युनिष्ट बिचारधारा हमेशा भारत के खिलाफ रहा है । इसी बजह से  चीन हमेशा नेपाल के सभी  कम्युनिष्ट पार्टीयों   के समर्थन में रहा है । 

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