आर्य समाज क्यों ---? - Terai Today

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Sunday, 30 April 2017

आर्य समाज क्यों ---?

 आर्य समाज क्यों ---?


मा.सुबेदार जी
भगवान कृष्ण गीता मे कहते हैं "यदा-यदाहि धर्मस्य ----- जब-जब धर्म की हानी होती है मै आता हूँ, धर्म संस्थापनार्थाय सांभावामि यूगे-यूगे---! धर्म की स्थापना हेतु ---- और वे आए बौद्ध काल मे आदि शंकर के रूप मे और वे आए ब्रिटिश काल मे ऋषि दयानन्द सरस्वती के रूप मे उन्होने देखा कि अवतारवाद की धारणा और समाज मे बिकृत पाखंड ने हिन्दू समाज को कायर बना दिया, स्वामी जी ने पूरे देश मे घूम-घूम कर अंग्रेजों के खिलाफ 1857 के क्रांति का बिगुल बजवा दिया वह
क्रांति असफल हुई स्वामी जी को लगा यह कैसे हुआ उन्हे ध्यान मे आया कि इसमे ब्रंहासमाज जो चर्च के इशारे पर काम कर रहा है स्वामी जी सीधे कलकत्ता ब्रह्मासमाज के मुख्यालय पहुच गए, ब्रह्म समाज के अध्यक्ष 'केशवचंद सेन' से भेट के पश्चात एक सभा मे स्वामीजी स्वराज्य की बात की  उनका दृढ़ मत था बिना स्वराज्य के स्वधर्म बेमानी है, यह समाचार वायसराय के पास पहुचा उसने स्वामी जी के दर्शन की इक्षा प्रकट की गाड़ी भेजा पहली ही भेट मे उसके पुछने पर स्वामी जी ने स्वराज्य यानी अंग्रेजों के शासन को समाप्त करना सीधे 'वायस राय' से कहना यह स्वामी दयानन्द सरस्वती ही कह सकते थे। आगे पढें

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