सम्राट हेमचन्द विक्रमादित्य --------------!
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- सुबेदार सिंह,धर्मं-जगारण प्रमुख (बिहार, झारखण्ड)
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राजपूत ने अपनी तलवार निकाल ली युद्ध शुरू हो गया, कई तुर्कों को उसने मौत के घाट उतार दिया और वह लड़की भी युद्ध करते मारी गयी, लेकिन वह अकेला था पीछे से वार मे घायल हो गया वह पराजित ही नहीं बीर गति को प्राप्त हुआ, यह घटना 'हेमू' देख रहा था हेमू को उस राजपूत लड़के ने बहुत प्रभावित किया, जब सब मुसलमान चले गए तो उसने उस राजपूत लड़के की तलवार उठा लिया उस तलवार को हेमचंद हमेसा अपने पास रखते थे, तय किया कि पृथबिराज चौहान के पतन के पश्चात भारत मे हिंदुओं की दुर्दशा उसे देखी नहीं जाती थी---! हेमचन्द ने उस राजपूत की वीरता, सौर्य की प्रतिज्ञा किया कि मै हिन्दू साम्राज्य की पुनर्स्थापना करुगा फिर वे आगे बढ़ना शुरू किया और एक दिन अपनी बुद्धि, बिवेक व शौर्य के बल दिल्ली की सिपाही हुआ फिर दिल्ली का कोतवाल और फिर दिल्ली का शासक बना,मुगल हुमायू को शेरशाह सूरी ने पराजित कर सत्ता हथिया ली अवसर पाकर हेमू की योग्यता देख दिल्ली का शासक नियुक्त किया1545 मे सूरी की मृत्यु हो गयी आदिलशाह गद्दी पर बैठा उसने ग्वालियर के किले मे इनकी प्रतिभा देख अफगान सेना का सेनानायक व प्रधानमंत्री नियुक्त कर दिया अब हेमू ने अपने प्रतिभा व शौर्य दिखाने का समय मिल गया बुद्धि और विवेक के बल हिन्दू राज्य की विस्तार योजना शुरू कर दी उसने अफगान सामंत जो टेक्स नहीं देते, ऐसे अनुशासन हीनों को कुचल डाला योजनवद्ध तरीके से धीरे -धीरे मुस्लिम सुल्तानों- सामंतों को समाप्त कर जगह-जगह राजपूत सामंत नियुक्त कर वह दिल्ली का असली शासक बन गया।आगे पढें