बीबीसी हिन्दी ख़बर के मुताविक इस्लाम के बारे में माना जाता है कि वह समलैंगिकता के ख़िलाफ़ है लेकिन एक ताज़ा सर्वे के मुताबिक़ पिछले दस साल में समलैंगिकता को क़ुबूल करने वाले अमरीकी मुसलमानों की संख्या तेज़ी से बढ़ी है जबकि व्हाइट प्रोटेस्टेंट में यह गिनती बहुत कम है.
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सांकेतिक तस्वीर |
मैं वॉशिंगटन डीसी में ऐसे ही एक जोड़े से मिली. उरूज और ग्रेसन दो साल से प्यार के रिश्ते में हैं. ग्रेसन ट्रांसजेंडर हैं जबकि उरूज को मर्द, औरत, ट्रांसजेंडर सभी पसंद हैं, यानी वो खुद को क्वीर कहती हैं.
उरूज के पूर्वज हिंदुस्तान के जलालाबाद से हैं और उनका बचपन पाकिस्तान में गुज़रा है. 1992 में उनका परिवार अमरीका आ गया. उनके परिवार में उरूज का क्वीर होना किसी टैबू से कम नहीं. ग्रेसन कीनिया से ताल्लुक रखते हैं.
जब मैं उरूज और ग्रेसन के घर पहुंची तो ग्रेसन अपनी साथी उरूज को पियानो पर 'सालगिराह मुबारक़' की धुन बनाना सिखा रहे थे. ग्रेसन की मां का जन्मदिन आने वाला है और उरूज उन्हें यह गाकर सुनाना चाहती हैं.
उरूज ने बीबीसी हिंदी को बताया, "सबसे पहले मेरे भाई को मेरी सैक्शुएलिटी के बारे में पता चला. उसने इसकी शिकायत मां से कर दी. मेरी मां को उस समय कुछ समझ नहीं आया. मैं लगातार इनकार करती रही, फिर मां ने मुझसे क़ुरान पर हाथ रखकर बताने के लिए कहा कि क्या मैं लेस्बियन हूं. तब मैंने उन्हें सब कुछ सच-सच बता दिया. मेरी सच्चाई जानकर वो बहुत निराश हुईं."
लेकिन वक्त के साथ उरूज की मां के रवैये में बदलाव आ रहा है. उन्होंने उरूज की साथी को न सिर्फ क़ुबूल किया बल्कि पहली बार उनसे मिलने भी जा रहीं हैं.
इस बारे में उरूज कहती हैं, "मेरी मां को मेरी सच्चाई अपनाने में लगभग 20 से 22 साल लग गए, हालांकि होमोसैक्शुएलिटी को लेकर अभी भी उनके अपने विचार हैं लेकिन अब वो मेरी भावनाओं को समझने लगीं हैं और मेरे प्यार को भी."
होमोसैक्शुएलिटी की तरफ अमरीकी मुसलमानों का रवैया अब बदल रहा है. प्यू (PEW) सेंटर के ताज़ा सर्वे के मुताबिक 52 फीसदी मुसलमान समाज में होमोसैक्शुएलिटी को क़ुबूल कर रहे हैं जबकि इसके मुक़ाबले सिर्फ 32 प्रतिशत व्हाइट प्रोटेस्टेंट ही इसे क़ुबूल करने के लिए तैयार हैं.
हालांकि कुछ कट्टर मुसलमान अभी भी हैं जिनका मानना है कि समलैंगिकता एक ग़ुनाह है.
बीबीसी हिंदी से बात करते हुए पाकिस्तानी मौलवी डॉक्टर ज़फर नूरी ने कहा, "अल्लाह भी समलैंगिक लोगों को पत्थर मारने की सज़ा देते हैं, पैगंबर साहब ने भी ऐसे लोगों को मृत्युदंड देने का आदेश दिया है."
अमरीका में रहने वाले मुसलमान युवा समलैंगिकता को अपराध मानने के लिए तैयार नहीं हैं. इसलिए वो वॉशिंगटन डीसी में एंटी-गे क़ानून के ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन करते हैं.
अमरीका में रहने वाले समलैंगिक समुदाय के लोग यह जानते हैं कि वो अपना हक़ हासिल करने के लिए आवाज़ उठा रहे हैं.
वो ये भी जानते हैं वो एशिया और मध्यपूर्व में रहने वाले अपने उन साथियों के लिए भी परचम लहरा रहे हैं जो खौफ़ और डर की ज़िंदगी गुजारने पर मजबूर हैं.
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