बिलकुल एक जैसी पत्थरबाज़ी की चपेट में आधा भारत आ चुका है . कश्मीर से निकल कर पत्थरबाज़ी सम्भल , ग्वालियर से होते हुए बिहार के अकबरपुर तक पहुच गयी है . पत्थरबाज वही और निशाने पर लोग भी वही . नया मामला बिहार के अकबरपुर प्रखंड का है. अकबरपुर के बालियान बुजुर्ग गाँव में हिन्दू संगठनों ने नवरात्र के लिए एक प्रतिमा लगाया था जिसमे माँ दुर्गा की प्रतिमा लगी थी . अचानक ही वो प्रतिमा तोड़ डाला गया जिसके विरोध में हिन्दू जनता चौराहे पर जमा हो कर प्रदर्शन और दोषियों की गिरफ़्तारी की मांग करने लगी . यहाँ पुलिस प्रशासन की लापरवाही सबने साफ गौर पर देखी .
पूरी तरह से चल रहा संवैधानिक कार्य मुस्लिम समुदाय के कुछ दंगाइयो को ज़रा सा भी रास नहीं आया और फिर अचानक शांतिपूर्ण संवैधानिक मांग कर रही माता भक्त , जनता पर शुरू हो गया भीषण पथराव . पथराव से तमाम लोग चोटिल हो गए , पत्थरबाज़ों को जो भी जहां भी दिखा उन्होंने बिना स्त्री , बच्चों का भेद सोचे उसे पत्थरों से बींध दिया. अपनी जान बचाने के लिए माँ भक्त जनता पुलिस को बार बार फोन करती रही पर तुष्टिकरण के प्रभाव में चल रही सरकार में उसे किसी के भी जीने मरने की शायद फ़िक्र नहीं थी . यहाँ कहीं से भी नही लगा की बिहार में शासन बदल गया है .
जब पत्थरबाज जी भर के पत्थरबाज़ी कर चुके थे तब जैसे तैसे वहां पुलिस आई और फिर एकतरफा पीड़ित माँ भक्तों को ही डांटना शुरू कर दिया. चोटिल माँ भक्तों ने प्रशासन से कार्यवाही की मांग की तो पुलिस ने उन्हें ही आरोपी बना कर जेल में डालने की धमकी दे डाली . इस प्रकार के व्यवहार से हिन्दू समाज बेहद आक्रोशित है और उन्होंने ना सिर्फ पत्थरबाजो अपितु ऐसे एकतरफा व्यवहार करने वाले प्रशासनिक अधिकारियो पर कड़ी कार्यवाही की मांग की है . इस मामले में माँ भक्तो के अनुसार सैफुल रहमान के घर पर पहले से ही पत्थर आदि रख कर जमा किया गया था जो भीषण पथराव में बदल गया .. बार बार धर्म निरपेक्षता की दुहाई देने वाले लालू यादव के परिवार का कोई भी फिलहाल इस मामले में अभी बोलने को तैयार नहीं दिख रहा है जिन्होंने अभी हाल ही में सत्ता को एक रैली में ललकारा था .