वर्ष २०७४ में
रक्षा बंधन श्रावण २३ , सोमवार को मनाया जाएगा। यह त्यौहार भाई-बहन के अटूट प्रेम को
समर्पित है और इस त्यौहार का प्रचलन सदियों पुराना बताया गया है। इस दिन बहनें
अपने भाई की कलाई पर राखी बाँधती हैं और भाई अपनी बहनों की रक्षा का संकल्प लेते
हुए अपना स्नेहाभाव दर्शाते हैं।
कब तक रहेगी भद्रा
पिछले साल रक्षाबंधन के पर्व को भद्रा की नजर नहीं लगी थी
क्योंकि भद्रा सूर्योदय से पहले समाप्त हो गई थी लेकिन इस बार रक्षा बंधन के इस
पावन पर्व को भद्गा की नजर लगी हुई है।
जिस कारण ११ बजकर १९
मिनट के बाद ही कलाई बांधने की रस्म शुरु होगी। भद्रा को चूंकि शुभ कार्य
के लिये अशुभ माना जाता है इसलिये भद्रा के समाप्त होने के पश्चात ही राखी बांधने
की परंपरा को शुरु करना शुभ फलदायी रहेगा।
क्या है भद्रा
शास्त्रों की मान्यता के अनुसार भद्रा का संबंध सूर्य और
शनि से होता है। हिन्दू धर्म शास्त्रों में, भद्रा भगवान सूर्य देव की
पुत्री और शनिदेव की बहन है। शनि की तरह ही इसका स्वभाव भी क्रूर बताया गया है। इस
उग्र स्वभाव को नियंत्रित करने के लिए ही भगवान ब्रह्मा ने उसे कालगणना या पंचाग
के एक प्रमुख अंग करण में स्थान दिया। जहां उसका नाम विष्टी करण रखा गया। भद्रा की
स्थिति में कुछ शुभ कार्यों, यात्रा और उत्पादन आदि
कार्यों को निषेध माना गया। इसलिये इस बार भद्रा का साया समाप्त होने पर ही
रक्षाबंधन अनुष्ठान किया जा सकेगा।
इसलिये भी खास है इस बार राखी
रक्षाबंधन का यह पवित्र त्यौहार इस बार सोमवार को होगा जोकि
इसके खास होने कि एक वजह है। आप सोचते होगे कि सोमवार में ऐसा क्या खास है। दरअसल
यह साधारण सोमवार नहीं बल्कि सावन माह का पावन और अंतिम सोमवार है। सावन सोमवार
होने के कारण यह दिन बहुत सौभाग्यशाली है और भोलेनाथ की कृपा भी इस दिन बनी रहती
है। हालांकि रक्षाबंधन के संबंध में यह मान्यता जुड़ी हुई है कि देवताओं के गुरु
बृहस्पति ने ही देवराज इंद्र को असुरों पर विजय पाने के लिये रक्षा बंधन का सुझाव
दिया था जिसके बाद इस त्यौहार को मनाने का चलन शुरु हुआ।
राखी
पर लगेगा ग्रहण
श्रावण २३ गते २०७४
को मनाये जा रहे रक्षाबंधन पर चंद्र ग्रहण भी लग रहा है। हालांकि ग्रहण
रात्रि ११ बजकर ०७ मिनट पर शुरु होगा लेकिन ग्रहण का सूतक दोपहर
बाद २ बजकर ७ मिनट से ही आरंभ हो जायेगा जो रात्रि के १ बजकर ४
मिनट तक रहेगा। इसलिये ज्योतिषाचार्यों की सलाह है कि इस वर्ष रक्षाबंधन का
अनुष्ठान भद्रा समाप्ति के पश्चात यानि ११
बजकर १९ मिनट से चंद्रग्रहण के
सूतक लगने से पहले यानि २ बजकर ७ मिनट तक कर लेना चाहिये।
शुभ महूर्त
रक्षा बंधन तिथि :- श्रावण २३ गते २०७४ ,सोमवार
अनुष्टान समय :- ११ः१९
से २१ः२७ (श्रावण २३ , २०७४
)
अपराह्न मुहूर्त :- १४:०१
से १६ः३९ (श्रावण २३ , २०७४
)
प्रदोष समय रक्षा बंधन मुहूर्त :- १९ः१८ बजे से २१ः२७
(श्रावण २३, २०७४ )
पूर्णिमा तिथि प्रारंभ :- २२ः४३ बजे (श्रावण २२ , २०७४ )
पूर्णिमा तिथि समाप्त :- २३ः५५ बजे (श्रावण २३ , २०७४ )
भद्रा समाप्ति समय :- ११ः१९
बजे (श्रावण २३ , २०७४
)
चंद्र ग्रहण सूतक :- १४ः०७
बजे (श्रावण २३ , २०७४ )