म्यांमार में रोहिंग्या आतंकियों ने कहा है कि सरकार की तरफ से आने वाले किसी भी शांति प्रस्ताव पर वह सकारात्मक रुख अपनाएंगे। उनकी तरफ से घोषित एक महीने का एकतरफा संघर्ष्विराम सोमवार को मध्य रात्रि में खत्म हो रहा है।
म्यांमार सरकार द्वारा घोषित आतंकी संगठन अराकान रोहिंग्या मुक्ति सेना (एआरएसए) ने संघर्ष्विराम खत्म होने के बाद कार्रवाई शुरू करने के बारे में कुछ नहीं कहा है। लेकिन रोहिंग्या लोगों का उत्पीड़न और किसी तरह की कार्रवाई बर्दाश्त न करने की बात कही है। संगठन ने बयान जारी कर कहा है कि सरकार अगर शांति स्थापित करने की दिशा में कदम आगे बढ़ाती है तो जवाब में वह भी सहयोगात्मक रुख अपनाएगा। सरकार ने फिलहाल इस पर कोई प्रतिक्रिया जाहिर नहीं की है। पूर्व में जारी बयान में सरकार साफ कर चुकी है कि उसका आतंकियों के साथ बातचीत का कोई कार्यक्रम नहीं है। इसी संगठन ने द्दछ अगस्त को घण् पुलिस चौकियों और एक सैन्य ठिकानों पर हमले किए थे। इन हमलों में दर्जन भर सुरक्षाकर्मी मारे गए थे। इसी के बाद सेना की कार्रवाई में पांच लाख से ज्यादा रोहिंग्या मुस्लिमों को म्यांमार छोड़कर बांग्लादेश जाना पड़ा। संयुक्त राष्ट्र ने इस कार्रवाई की निंदा की है। अशांत रखाइन प्रांत में फिलहाल राहत का कार्य जारी है।
आठ लाख को एक जगह बसाने की योजना खतरनाक
संयुक्त राष्ट्र ने बांग्लादेश में बड़े स्तर पर बनाए जाने वाले शरणार्थी ठिकाने को खतरनाक बताया है। का‘क्स बाजार कस्बे के नजदीक यह दुनिया का सबसे बड़ा शरणार्थी ठिकाना होगा जहां आठ लाख से ज्यादा रोहिंग्या शरणार्थी रहेंगे। इनमें से पांच लाख से ज्यादा शरणार्थी द्दछ अगस्त की हिंसा के बाद आए हैं। संयुक्त राष्ट्र के ढाका स्थित समन्वयक रा‘बर्ट वाकिंस ने कहा है कि अभावग्रस्त लोगों की इतनी बड़ी आबादी में कभी भी संक्रमण या महामारी फैल सकती है, जिसमें बड़ी संख्या में लोगों की जान जाने की आशंका है।
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