श्रावण मास यानी चारों ओर हरियाली का वातावरण। प्रकृति का सौन्दर्य श्रावण मास में निखार पर होता है। जब कोई प्रसन्न होता है तो उसका हर काम में मन लगता है इसलिए श्रावण मास में शिव के एकाग्रचित्त पूजन का विशेष महत्व माना गया है। शिवजी को चढ़ने वाले पुष्प भी चारों ओर खिल उठते हैं ताकि भक्तगणों को पूजन सामग्री में कोई कमी नहीं आए। आक के फूल, बेलपत्र, धतूरे के फल, नीले पुष्प आदि। शिवजी को प्रसन्न करने हेतु सफेद आंकड़े के फूलों को चढ़ाकर प्रसन्न किया जा सकता है।
यूं तो मंत्र कई हैं लेकिन आज के युग में जल्द फलदायी होने वाला व सबसे प्रिय शिव मंत्र महामृत्युंजय मंत्र से दूसरा और कोई नहीं है। यह रोग, शोक, दु:ख, जरा व मृत्यु के बंधनों से मुक्ति देने वाला सर्वश्रेष्ठ मंत्र माना गया है।
महामृत्युंजय मंत्र को जपते हुए सफेद आंकड़े का फूल चढ़ाते जाएं व नित्य प्रति सोमवार को कम से कम 108 बार जप अवश्य करें। इस प्रकार आराधना करने से मनोकामना भगवान अवश्य पूरी करेंगे।
मेष व वृश्चिक राशि वाले 109 बार कनेर के फूलों से, जो गुलाबी या लाल हो, चढ़ाते हुए मंत्र का जाप करें।
वृषभ व तुला राशि वाले सफेद आक के फूलों से 108 बार मंत्रोच्चारण कर पूजा कर सकते हैं।
मिथुन व कन्या राशि वाले बिल्वपत्र से यथाशक्ति मंत्र का जाप करें।
कर्क राशि वाले सफेद चंदन का लेप कर सफेद आक के फूलों को चढ़ाते हुए मंत्रानुष्ठान करें।
सिंह राशि वाले पीले चंदन से पूजन कर गुलाबी कनेर के फूलों से मंत्र जप करें।
धनु व मीन राशि वाले हल्दी की माला से मंत्र का जाप करें।
मकर व कुंभ राशि वाले नीले फूलों को चढ़ाएं व नीलांजनी माला से जाप करें।